
आज सम्पूर्ण दक्षिण एशिया एक अन्धकारमय भविष्य की नियति से जूझ रहा है , सिर्फ वक़्त ही इस बात का ज़वाब दे सकता है कि एक ही संस्कृति को व्यापक तौर पर साझा करने वाले लोग आखिर कब ब्रिटिश राज के घावों को भुलाकर एक सह - अस्तित्व को स्वीकार कर सकेंगे ? इस बात का ज़वाब कहीं ना कहीं हमारे इतिहास में ही छुपा है | हजारों साल से चली आ रही सांस्कृतिक विरासत को इस उप - महाद्वीपीय