आज हिंदी दिवस है , बहुत सारे लोगों के लिए ये हिंदी की बेचारगी का रोना-रोने का सर्वश्रेष्ठ दिन है |


भाषा हमें संस्कार देती है और मातृभाषा तो एक प्रकार से साक्षात् माता की ही भूमिका का निर्वहन करती रही है | हमारी हिंदी ने हमें हमेशा संघर्ष के ही संस्कारों से दीक्षित किया है |




  जब हम अपने वर्तमान अस्तित्व को देखते हैं तो यही पाते हैं कि हिंदी ने ही हमारे सामाजिक संस्कारों का परिष्कार किया है | भारत की स्वतंत्रता से लेकर सामाजिक सुधार के आन्दोलनों की भाषा हमारी हिंदी ही रही है , सारांश यह कि हिंदी ने हमें हमेशा आतताईयों के विरूद्ध लड़ने की और विजेता बनने की प्रेरणा और मार्गदर्शन दिया है |


आज हमारी हिंदी प्रतीक बन चुकी है | हिंदी प्रतीक है भारत माता को जड़ता और गुलामी से मुक्त कराने के संघर्ष की , हिंदी प्रतीक है धरती को पर्यावरण असंतुलन से बचाने की , हिंदी प्रतीक बन चुकी है पृथ्वी को लालच पूर्ण दोहन के विरोध की , हिंदी प्रतीक है निर्मम शासकीय सत्ता के विरूद्ध संघर्ष की , हिंदी प्रतीक बन चुकी न्याय एवं समानता के उद्देश्यों की प्राप्ति की |



 ऐसी महान भाषा में ही इस प्रकार के उद्देश्यों को प्राप्त करने क्षमता है | भविष्य में सभी संघर्ष और आंदोलनों की भाषा हमारी भारतीय भाषायें एवं हिंदी ही होगी , अतः हिंदी कोई बेचारगी की भाषा नहीं है रोना बंद कीजिये और संघर्ष करते रहिये |


भारतीय भाषायें भारत के स्वप्नों की वाहक बन सकती हैं |


|| " सत्यमेव जयते  " ||

7 Responses so far.

  1. यथार्त को रेखांकित करने के लिए धन्यवाद। हिंदी दिवस की शुभकामनाऍ।

  2. "हिंदी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा"

    हिंदी दिवस की शुभकामनाऍ।

    -वन्दे-ईश्वरम

  3. हैलो, लेडीज़ एंड जैंटलमैन, टूडे हमको हिंडी डे मनाना मांगटा...

    अंग्रेज़ चले गए लेकिन अपनी....छोड़ गए...

  4. हिंदी दिवस की शुभकामनाऍ ......

  5. I am writing Hindi Sufi Song of 10000 verses till now 1473 verses are written. This work is based on the inspiration from Holy Quran, till now 5 programs are organized. Song is based on the theme EK HAI TU EK HAI. I need like minded people like you to be with me to promote mahakavya. Rashtra Bhasha Ka Samman, Jai Hindi Jai Hindustan.

    PANDIT MUSTAFA
    www.longestsufisong.blogspot.com

  6. जो भारतीया हिन्दी को बोलते समय अपने आप को घटिया समझे वो असल मै है ही घटिया... हमारी पहचान सिर्फ़ हिन्दी है
    आप ने बहुत सुंदर शाव्दो मे लिखा अपना यह लेख
    धन्यवाद

  7. अपके जज्बे की प्रशंसा करनी ही पड़ेगी। हिन्दी स्वप्नों की वाहक बने - यह स्वप्न देखता हूं।

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