आज बात नवरात्री के पर्व की |
तेजी से बदलते समाज में त्योहारों का महत्त्व भी बदलता जा रहा है , हर पीढी का अपना नजरिया होता है जो इन पर्व - परम्पराओं को आगे बढ़ाता है | पिछले दस - बारह वर्षों में ही लगता है कि पूरी पीढ़ी की सोच ही बदल गयी है |


जरा देखें .....................


1999 की नवरात्री  :-----


उत्तर भारत के एक मध्यम आकर के शहर में नवरात्री की तैयारियां चल रही हैं |
लोगों में चर्चा के विषय कुछ इस तरह के हैं |
१. इस बार फलाने समिति वालों ने ज़बरदस्त सजावट की है , अजी पूरा कारगिल माता के चरणों में समा लिया है |
२. कुछ लोगों ने कहा कि इस बार तो फलानी कॉलोनी वालों ने वैष्णो देवी से जागरण वालों को बुलवाया है अबकी धूम मचेगी जागरण में |
३. विभिन्न गुटों में चर्चा है कि चंदे के पैसों से माता के एक पुराने मंदिर का जीर्णोधार भी करवा दिया जाये |
४. दर्शनार्थी स्त्रियों के लिए सभी पंडालों में एक विशेष व्यवस्था प्रशासन की ओर से की जा रही है |
५. दान और चढावे के पैसे से सामाजिक कार्यों को बढ़ावा दिए जाने कि कार्य योजना बनी है | 





 2009 की नवरात्री :----- 


१. आम लोगों में चर्चा गरम है की फलाने मंडल वाले इस बार दुबई से महँगी वाली  चीयर लीडर को बुला रहे हैं |
२. अबकी कुछ मंडलों में देवी के रूप में ' मायावती माता ' और ' सोनिया माता ' भी देखी जाएँगी |
३. सभी पंडालों में गरबा खेलने वाले ' रास-प्रेमियों ' के लिए भी विशेष व्यवस्था की गयी है |
४.बहुत सारे लोंगों ने तो निर्णय किया है कि वो अपने व्रत के खान-पान , नियम आदि का पालन एकता कपूर टाइप टी.वी. सीरियलों के हिसाब से करेंगे |
५.सारे स्कूल और कॉलेज के छात्रों को विशेष निमंत्रण क्योंकि " लाखों रुपये खर्च करके उनके लिए ही तो कोबरा DJ " बुलाया जा रहा है |
६. इस बार दस बड़ी समितियों को २० करोड़ रूपये की Sponsorship मिली है |


 वाकई नयी पीढ़ी की सोच तो काफी बदल गयी है |




|| " सत्यमेव जयते " ||













6 Responses so far.

  1. सही कहते हैं आप. बहुत कुछ बदल गया है. नवरात्री में होनेवाले डांडिया कार्यक्रमों के दौरान गर्भनिरोधकों की बिक्री बढ़ जाती है और नवरात्री के बाद gynaecologists की डिमांड बढ़ जाती है. बहुत चिंतनीय पहलु है ये इस पर्व का.

  2. सही कहा नयी पीड़ी सचमुच बदल गयी है ............ अछा लिखा है ..

  3. Unknown says:

    समय समय की बात है। समय के साथ साथ श्रद्धा पर मनोरंजन हावी होते जा रहा है।

  4. धर्म के साथ कमीनापन भी क्या अन्योंयाश्र्या रूप से जुदा हुआ है.........???

  5. Dear All,

    Actually we cannot be escaped from our natural instinct only by adopting some good things but we should remain to try to adopt good things in our life otherwise bad things will lead our life on its line we will be unable to make ourselves free from this evil things.

    We cannot change ourselves in totality but we can decide the leader of our life that is good or bad.

    Bad things take always the benefit of the shadow of good things but we should prove that we are human being and not the social animal and the humanity is our basic tendency and nothing else. It does not mean that we should leave to work towards something good in a fear of getting bad unintentionally.

    Man or Animal too get only the desired thing they needed from a combination of good and bad or from a combination of useful or unuseful things.

    Let them go in good direction. If we understand that something wrong is there, we should guide or help them in removing the undesirable things from that journey towards good instead of stopping to do everything in an apprehension of something wrong
    Satish Mudgal

  6. ब्लोग देखा पढा अच्छा लगा
    हमारे ब्लोग पर भी पधारे

    http://gyansindhu.blogspot.com

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